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उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन है

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


जिनके हैं माँ-बाप नहीं,बस क्रंदन है,
उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन हैl

भूखे प्यासे सड़कों पर दिख जाते हैं,
रोटी कम,ठोकर ही ज्यादा खाते हैं
मजदूरी करते रोजाना दिन-दिन भर,
लेकिन खोटे सिक्के ही बस पाते हैंl
ऊपर से मालिक का कितना बंधन है-
उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन हैll

मंदिर आगे बैठे हाथ पसारे हैं,
वे भी धरती के ही चाँद-सितारे हैं
सोचूँ तो व्याकुल हो जाता हूँ अक्सर,
दुनिया में क्यों बच्चे गम के मारे हैंl
जिनके सिर छत है ना कोई छाजन है-
उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन हैll

उम्र नहीं बच्चों की कष्ट उठाने की,
उम्र यही है मस्ती में खो जाने की
पढ़ना-लिखना और खेलना हक इनका,
उम्र नहीं यह भाई अश्रु बहाने कीl
जिनके मन में बस केवल सूनापन है-
उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन हैll

बड़े-बड़े धनवान जगत में रहते हैं,
भला करेंगे नेता जी भी कहते हैं
रोज दया के गाने गाए जाते पर,
बच्चे तिल-तिल कष्ट हजारों सहते हैंl
जिन बच्चों के हेतु नहीं अपनापन है-
उन बच्चों का जीवन भी तो जीवन हैll

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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