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कबीर सिंग-जुनूनी प्रेम कहानी

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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लेखक निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा और
अदाकार-शाहिद कपूर,कियारा आडवाणी, निकिता,सुरेश ओबेरॉय,आदिल हुसैन,अर्जुन बाजवा एवं सोहम मजूमदार की यह फिल्म ‘कबीर सिंग’ जुनूनी प्रेम कहानी है।
यह दक्षिण की २०१७ में आई तेलगू फ़िल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ की रीमेक है। फिल्म के लेखक निर्देशक वांगा ही थे। फ़िल्म की स्क्रीनिंग ५५ बार की गई थी,तब फ़िल्म को वयस्क प्रमाण-पत्र मिला था। बसों के पीछे लगे पोस्टर्स एक राजनेता ने हटवा दिए थे और महिला संगठन ने भी फ़िल्म का विरोध किया था। फ़िल्म में अत्यधिक प्रेम दृश्यों और क्रूरता के चलते इसे ‘ए’ प्रमाण-पत्र दिया गया था। तब इसे तेलगू भाषा में ही देख पाया था।


फ़िल्म में मुख्य किरदार विजय देवर कोंडा और शालिनी पांडे ने निभाया था।
बजट ५ करोड़ और व्यापार ५३ करोड़ के लगभग था। फ़िल्म कुल ११ सम्मान समारोह में नामांकित हुई और ३ पुरस्कार अपने नाम किए थे। ‘अर्जुन रेड्डी’ से रीमेक कबीर सिंग पर अब चर्चा करते हैं।
कबीर के किरदार के लिए रणवीर सिंह पहली और अर्जुन कपूर दूसरी पसन्द थे तो शाहिद तीसरी,लेकिन निर्देशक ने ‘कमीने’ एवं ‘हैदर’ देखी तो शाहिद पहली पसंद हो गए। अदाकारा में तारा सुतारिया पहली पसंद थी,पर उनकी व्यस्ताओं के चलते किरदार कियारा अंतिम रुप से चयनित की गई।
कहानी के अनुसार मुहब्बत में जितना पागलपन और जुनून हो सकता है,उसे पाने की चाहत उतनी ही कयामती हो सकती है। एक मेडिकल विद्यार्थी है कबीर सिंह(शाहिद),जो हिंसक,उग्र ग़ुस्सैल मिज़ाज है। सिगरेट,शराब से परहेज़ बिल्कुल नहीं करता है। मारधाड़ के चलते उसे महाविद्यालय से निलंबित कर दिया जाता है। वह महाविद्यालय छोड़ कर जा ही रहा होता है कि,उसकी अपनी एक जूनियर प्रीति सिक्का (कियारा आडवाणी) से मुलाकात हो जाती है। वह अपनी मुहब्बत का ऐलान कर देता है,कबीर के हिंसक व्यवहार और तुनकमिजाजी के आगे कोई मुख़ालफ़त नहीं होती। मुलाकात,मुहब्बत में तब्दील हो जाती है।
हर फिल्म में मुहब्बत को बड़ी सौम्यता से दर्शाया जाता रहा है,लेकिन यहां मुहब्बत में पागलपन,जुनून,तुनकमिजाजी दिखाई गई है। कबीर दबंग मिज़ाज और प्रीति सौम्य-शांत मिज़ाज की है। इनकी मुहब्बत परवान चढ़ती है। कबीर परछाई की तरह प्रीति को संरक्षण देने के साथ खुद पढ़ाई पूरी कर चिकित्सक बनता है। कबीर आगे की पढ़ाई के लिए मैसूर जाता है,लेकिन कबीर-प्रीति दूर नहीं रह पाते और मुहब्बत में सारी हदें पार कर जाते हैं। कबीर,प्रीति से शादी के लिए रिश्ता लेकर जाता है,पर उसका व्यवहार दुश्मन बन खड़ा हो जाता है। कबीर नशे,शराब में खुद को डुबो लेता है,जो खुद से नाराजगी का आसान तरीका है।
फिल्म में गाने लगभग सभी खूबसूरत बने हैं। सभी गाने बेकग्राउंड में रखे गए हैं। मिथुन ने संगीतबद्ध किया है। बेख्याली,तुझे इतना चाहने लगेंगे,कैसे हुआ-कर्णप्रिय हैं। पार्श्व संगीत में बदलाव नहीं है,अर्जुन रेड्डी का ही परोसा गया है।
पहला भाग मुहब्बत में कब निकल गया पता ही नहीं पड़ता,लेकिन दूसरे में विरह- वियोग को लम्बा खींचा गया है,यह एक गाने के माध्यम से छोटा किया जा सकता था। फ़िल्म की लंबाई १७२ मिनट है,जो दूसरे भाग में खलती है। इसे २५ मिनट छोटी किया जा सकता था।
#क्यों देखें फ़िल्म-
एक नया अंदाज़ मुहब्बत को पेश करने का,ज़िद्दी,अकडू,ग़ुस्सैल,तुनक,श्रृंगार(प्रेम)दिखाने में निर्देशक सन्दीप रेड्डी वांगा कामयाब हुए हैं। पटकथा बेहद कसी हुई है। शाहिद सात्विक (किरदार को जिया) अभिनय से अपनी अदाकारी को एक नए आयाम पर ले गए हैं। हैदर,कमीने से भी कोसों आगे इस किरदार को सम्पूर्णता से प्रस्तुत किया है। कियारा बेहद खूबसूरत लगी है,वह प्रशिक्षित अदाकारा है जल्दी ही निखर जाएगी। अर्जुन बाजवा,सुरेश ओबेराय,सोहम मजुमदार भी अच्छा किरदार निभा गए तो कामिनी कौशल को देखना सुखद लगा।
क्या अंत में दोनों प्रेमी मिल पाते हैं,जवाब के लिए फ़िल्म देखना बनती है। इसमें खलती है फ़िल्म की लंबाई और शारारिक प्रेम भी खलता है।
फ़िल्म को भारत में ३००० पर्दे मिले हैं, जिससे ९ से १३ करोड़ की शुरूआत मिल सकती है। निष्कर्ष-प्रेम को सहजता, कोमलता और सौम्यता से दिखाया गया है,लेकिन यदि प्रेम बर्बाद होता है तो आशिक किस हद तक गुज़र सकता है, यह एक नया संस्करण देखने को मिला। फ़िल्म देखी जा सकती है,इसलिए इसे
साढ़े ३ सितारे देना चाहिए।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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