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कवि की दृष्टि अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख पर होनी चाहिए

रचना पाठ….

इंदौर (मप्र)।

कवि की दृष्टि अर्जुन की तरह चिड़िया की आँख पर होनी चाहिए। पानी की कमी तो आम आदमी भी जानता-समझता है, कवि को तो ईमानदारी की कमी देखना चाहिए।
जनवादी लेखक संघ, इन्दौर के मासिक रचना पाठ में वरिष्ठ व्यंग्यकार जवाहर चौधरी ने इस बात को रेखांकित किया। वे मासिक रचना पाठ में राजेश ब्रह्मवेद की कविताओं पर बात कर रहे थे। शासकीय श्री अहिल्या केन्द्रीय पुस्तकालय में ‘जलेस’ के पाठ में राजेश ब्रह्मवेद और प्रदीप कान्त ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। राजेश ब्रह्मवेद ने हिन्दी कविताओं का पाठ किया, जिसमें पानी की कमी, छुपा रहना, लड़कियाँ आदि थीं|। कविताओं पर चर्चा करते हुए देवेन्द्र रिणवा और सुरेश उपाध्याय ने कहा कि ये शुरुआती दौर की कविताएँ हैं, इसलिए कवि को अपने समय के बेहतर कवियों को बहुत पढ़ना चाहिए, ताकि समय और समाज के विषयों की समझ विकसित हो सके।
इसके बाद प्रदीप कान्त ने अपनी चुनिन्दा ग़ज़लों का पाठ किया। मनोज कुमार ने इनकी सराहना की। ग़ज़लों के कुछ शे’रों का ज़िक्र करते हुए श्री रिणवा ने कहा कि प्रदीप की ग़ज़लें समकालीन हैं, जिनमें अपने समय के तमाम ज़रूरी विषय हैं और मुहब्बत जैसे ग़ज़ल के पारम्परिक विषय नगण्य ही नजर आते हैं। युवा शायर डॉ. आतिश इन्दौरी ने कहा कि प्रदीप अपनी ग़ज़लों में बात को नए प्रतीकों से स्थापित करते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि वे छोटी बहर में बात करते हैं। श्री उपाध्याय ने कहा कि, हर्ष होता है कि ये ग़ज़लें अपने समय में सार्थक हस्तक्षेप करती हैं। श्री चौधरी ने कहा कि प्रदीप की ग़ज़लों में एक विकास यात्रा साफ-साफ नज़र आती है। संचालन रजनी रमण शर्मा ने किया। आभार देवेंद्र रिणवा ने व्यक्त किया।

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