हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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मेरे सपनों को तू तोड़ गया,
कितनी उम्मीदें थीं हमको
पर तू उसे तोड़ गया
वादा निभाएगा यह बोला था,
पर तू किस दुनिया में चला गया।
लाख भूलने की कोशिश करता हूँ मैं,
पर तेरी याद है कि जाती नहीं
कितनी उम्मीदें थीं हमको,
मेरे सपनों को तू तोड़ गया।
रिश्तों का यह अपनापन कहें,
या फिर कुछ और
तू तो हमें अकेला छोड़ गया,
आशा और निराशा के जीवन से दूर
किस दुनिया में चला गया।
मेरे सपनों को तू तोड़ गया…॥