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‘कुल्लू साहित्योत्सव’ में किया पर्यावरण पर चिंतन

कुल्लू।

‘कुल्लू साहित्योत्सव’ इस मायने में उल्लेखनीय रहा कि, इसमें हिंदी साहित्य के विविध पहलुओं पर विचार- विमर्श हुआ। विशेषकर हिमालय के पर्यावरण की चुनौतियों पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार व पर्यावरणविद् डॉ. शेखर पाठक ने हिमालय के इतिहास, संस्कृति और विकास के नाम पर विनाश की लिखी जा रही इबारत पर गहरी चिंता व्यक्त की।
आयोजन में दलित साहित्य, दलित स्त्री विमर्श, स्त्री एवं महिला पर जामिया मिलिया विवि की डॉ. हेमंत हिमाश्वरी, जेएनयू की डॉ. मधु ने बात रखी। दूसरे दिन प्रो. वरयाम सिंह ने हिंदी, रूसी अनुवाद विशेषतः भाषाई व्याकरण पर प्रकाश डाला, तो संजय जोशी ने ‘हिंदी साहित्य और सिनेमा’ विषय पर फिल्मों की प्रस्तुति के साथ वक्तव्य दिया। अनुज लगुन ने आदिवासी समाज मुंडा की संस्कृति और साहित्य पर विस्तृत जानकारी दी। दोनों दिन प्रश्न और उत्तर का दौर भी चला। गीत-संगीत के साथ कवि सम्मेलन का दौर भी चला। कमलेश
भारतीय एवं रत्नचंद निर्झर आदि ने बेहतरीन कविताएँ सुनाईं।