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गीत,कथा के कालजयी सृजक हैं डॉ.गोरख मस्ताना-प्रो. खरे

भेंटवार्ता……

मंडला(मप्र)।

डॉ. मस्ताना सृजन के महारथी हैं। बेतिया (बिहार) के सुपरिचित कलमकार हिंदी व भोजपुरी के बहुप्रतिभाशाली सृजक डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना गीत,कथा,लघुकथा व अन्यान्य विधाओं की अनेकानेक कृतियां सृजित कर साहित्य जगत में उच्च प्रतिष्ठा हासिल कर चुके हैं। उनकी रचनाओं में गहराई,संवेदना,सामाजिक चेतना सभी कुछ नज़र आता है।इसीलिए उनकी रचनाएं कालजयी हैं।
यह बात ऑनलाइन भेंटवार्ता एवं एकल पाठ के आरंभ में मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो.(डॉ) शरद नारायण खरे (मध्यप्रदेश) ने डॉ. मस्ताना के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कही।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में वरिष्ठ कवि डॉ. मस्ताना से ऑनलाइन भेंटवार्ता लेते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि, डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना सामाजिक जीवन की विसंगतियों और सौंदर्य बोध को पूरी शिद्दत के साथ बयां करने में समर्थ हैं।
भेंटवार्ता के दौरान डॉ. मस्ताना ने कहा कि,इतिहास गवाह है कि लयात्मक कविताएं ही लंबे समय तक जीवित रहती है और सपाट बयानी कविताएं धीरे-धीरे जनमानस से गायब हो जाती है।
आपने अपनी एक दर्जन से अधिक कविताओं का पाठ किया,जिसे देर रात तक श्रोताओं ने सुना और आनंद विभोर होते रहे।
कार्यक्रम में अपूर्व कुमार,ऋचा वर्मा,दुर्गेश मोहन,घनश्याम कलयुगी,रामनारायण यादव,संजय रॉय,आलोक चोपड़ा,मीना कुमारी परिहार,संतोष मालवीय आदि ने भी अपनी सहभागिता दर्ज की।

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