राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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बना विश्व की आँख का तारा,
चाँद पर चंद्रयान उतारा।
जय-जय हिंदुस्तान,
मेरा भारत बना महान॥
वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम,
की मेहनत रंग लाई है
चंद्रधरा पर उतरा विक्रम,
जन-मन ने खुशी मनाई है।
गूंज रही देश की शान,
मेरा भारत बना महान…॥
टक-टकी लगाए देख रहे,
धड़कन थी दिल की बढ़ी हुई
साँसें अटकी अगले पल पर,
ईश्वर से लौ थी लगी हुई।
जय घोष बन जयगान,
मेरा भारत बना महान…॥
चंद्रधरा के दक्षिणी ध्रुव पर,
कदम रखा हमने पहला
शांति के संवाहक हम,
हर क्षेत्र में नहले पे दहला।
आर्यभट्ट की हम संतान,
मेरा भारत बना महान…॥
लहर-लहर लहराया तिरंगा,
अखिल विश्व में सबसे ऊंचा
सत्य हुआ है सबका सपना,
चंद्रयान चाँद पर पहुंचा।
जय विज्ञान, जय विज्ञान,
मेरा भारत बना महान…॥
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।