राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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तीन कुत्ते आपस में बात कर रहे थे,चौथा कुत्ता चुप था। पहला कुत्ता बोला, -“तू चुप क्यों है,तेरा मालिक तो तुझे अपने बच्चे की तरह प्यार करता है। बढ़िया खाना खिलाता है।”
दूसरा कुत्ता बोला,-“मेरा मालिक तो कंजूस है,पर मालकिन अच्छी है। मालिक से चुपचाप छिपाकर मुझे अच्छा खाना खिलाती है। मालिक जब- तब उसे डांटता ही रहता है। कहता है, औरत को दबाकर रखो नहीं तो सर पर चढ़कर नाचती है।”
तीसरा कुत्ता बोला,-“यार! इंसान का जीवन हम कुत्तों से कितना बेहतर है। काश! एक बार इंसान का जीवन मिल जाए,तो जानवर की योनि से छुटकारा मिल जाए।”
चौथा कुत्ता जो अभी तक चुप था,बोला,-“आदमी से निकृष्ट कोई जानवर नहीं,कुत्ता कम से कम अपने मालिक के प्रति वफादार होता है। मेरा मालिक सबके सामने जिसे बेटी,मेरी प्यारी बेटी कहता है,रात को उसी के साथ हमबिस्तर होता है।
तीनों कुत्ते अब अवाक…?
परिचय-राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।