बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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स्वच्छ जमीन स्वच्छ आसमान…
चंदा देखो नैना खोले,
पवन भी डोले हौले-हौले
हीरों की घाटी में,
तारे करे विश्राम
जब स्वच्छ हो आसमान।
नीम आम पीपल की छाया,
कड़ी धूप में इन्हीं ने बचाया
भूख लगी तो फल भी खाया,
थके-हारे पथिक
छाया में इनकी करे विश्राम
जब स्वच्छ हो आसमान।
‘कोरोना’ जैसी महामारी,
फैली ऐसी अनगिनत बीमारी
इनके आगे दुनिया हारी,
औषधीय पौधों ने तब
बचाई सबकी जान,
जब स्वच्छ हो आसमान।
वृक्ष लगाओ, ऑक्सीजन पाओ,
हर बीमारी को दूर भगाओ।
इनकी छाया लगती,
जैसे माँ समान।
जब स्वच्छ हो आसमान॥