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जल तो जान है

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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राकेश शरद से बहुत दिन से उसके साथ उसके गाँव चलने के लिए कह रहा था, तो इस बार छुट्टियों में शरद तैयार हो ही गया। ट्रेन, फिर बस पकड़कर वे गाँव पहुंचे।परंपरागत गाँव, खेत-खलिहान, गाय-बैल, चौपाल, खपरीले मकान…सब-कुछ गाँव जैसा ही, पर पानी की ज़बरदस्त समस्या।
सुबह से ही घर के लोग कुंए से पानी भरकर लाने का काम करने लगे। गाँवभर का एक ही कुंआ। सारे लोग वहीं इकट्ठा थे। घरों में पानी की कोई आपूर्ति नहीं। कुछ घरों में हैण्डपम्प थे, पर पानी उतर जाने से उनमें भी नहीं आ रहा था।
कुंए का दृश्य देखकर शरद अचकचा गया। कुंए के चारों ओर लोग पानी के बर्तन लिए हुए खड़े थे। बाल्टी से पानी भरा जा रहा था। लोग पानी ढोकर घर ले जा रहे थे। यह देखकर शरद को पानी की क़ीमत समझ में आई। उसे याद हो आया कि शहर में वह किस तरह से नल खुला छोड़ देता है, पानी बहता रहता है, घर का कोई भी आदमी ध्यान ही नहीं देता। उसने तुरंत संकल्प लिया कि वह शहर लौटकर पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देगा, क्योंकि पानी है तो जान है। वह इसी निष्कर्ष पर पहुंचा कि, पानी की हर बूंद अमृत के समान है, इसलिए हमें हर हाल में पानी की बर्बादी रोकनी होगी।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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