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ज़िम्मेदारी-बोझ नहीं

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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मीकू ५ साल का था, और चिकी १ वर्षीय उसकी छोटी बहन। उनके पिता तो थे नहीं, पर माँ मीकू पर चिकी की देखभाल की जिम्मेदारी छोड़कर मजदूरी करने जाती थी।मीकू भी पूरी जवाबदारी से यह जिम्मेदारी निभाता था।
वह दिन भर खेलता रहता, पर बहन का पूरा ध्यान रखता था। जब बहन सो जाती थी, और मीकू को खेलना होता था, तो वह बहन को पीठ से बांध लेता था। ऐसे ही एक दिन जब चिकी सो गई, तो मीकू ने उसे अपनी पीठ से बांध लिया और बाहर एक पत्थर पर बैठकर खेलने में मगन हो गया।
आते-जाते लोग उन्हें आश्चर्य से देखते। किसी को लगता कि यह तो ख़ुद छोटा है, पर जिम्मेदारी तो बड़ी उठा रहा है। ऐसे ही एक दिन एक राहगीर ने मीकू से पूछ लिया-
“यह कौन ? “
“मेरी बहन।”
“ऐसा क्यों किया ? “
“बहन को संभाल रहा हूँ। “
“पर तुम तो खुद छोटे हो ? “
“पर बड़ा भाई तो हूँ।”
“बहन का इस तरह बोझ उठाने में क्या थक नहीं जाते हो ?”
“हा–हा–हा-हा…अरे चाचाजी! भला बहन का बोझ उठाने में भाई कभी थकता भी है ?”

मीकू का सवाल से भरा जवाब सुनकर राहगीर उसका मुँह ताकने लगा।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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