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जीवन के घाव

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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अतरंगी ज़िन्दगी में ऊँचाइयों का आकाश भी है,
समन्दर से ज्यादा गहरे जीवन की आश भी है।

पर कुछ ऐसे घाव होते हैं, जो चोट पर चोट देते हैं
हम संभलने की लाख कोशिश करें,
पर जीवन के यह घाव बहुत गहरे होते हैं।

ज़िन्दगी की कहानियों में धूप है छाँव है,
आँसुओं का सागर है और दर्द का अम्बर है
इसी के ईर्द-गिर्द घूमती ज़िन्दगी जरुर चलती है,
पर जीवन के उन लम्हों का दर्द घाव ही है
ज़िन्दगी में यह घाव ही रहे, नासूर नहीं बनें,
कोशिश तो ऐसी ही होनी चाहिए।

सफर में अकेले चलते हुए,
ऐ दिल हारना नहीं है तुझको
मंजिल मिले ना मिले, चलना तो है तुझे॥