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जीवन में ताल-लय भर दे

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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शब्दों का ये ताना-बाना,
भावनाओं का जाल बुनकर
विचारों को नया जामा पहनाकर,
एहसासों को उकेरे चित्रों में।

बे-रंग भावों को जो रंगीला कर दे,
सृजन करे नित्य नए पद्यों का
हृदय के तार झंकृत कर दे,
जीवन में ताल-लय भर दे।

निराश मन में जिजीविषा भर दे,
जिंदगी के फलसफे सिखा दे
दोस्तों के चेहरे खिला दे,
पढ़ने की वो आस जगा दे।

तपती धूप में फुहार बरसा दे,
सुरुचि शब्दों की माला पिरोकर
मधुर स्वरों से संगीत भर दे,
जीवन को एक नई दिशा दे।

अभी तक क्यों,
भौंचक्के हो सब।
‘कवि’ नाम से मशहूर है वो,
लोगों के दिल में राज करे जो॥

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