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तुम बिन सूनी-सूनी गलियाँ

गुलाबचंद एन.पटेल
गांधीनगर(गुजरात)
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तुम बिन सूनी-सूनी ये गलियाँ कान्हा,
वृंदावन छोड़कर मत जाओ कृष्ण कन्हैया।

तुम बिन सूनी-सूनी हैं गलियाँ,
नहीं दिख रहा है यहाँ कोई खेलैया।

तेरे बिन सूनी-सूनी रुक्मणी राधा,
सूख गया है बाग-बगीचा और पौधा।

एक बार तुम लौट कर आ जाना,
फिर कभी हमें छोड़,कभी मत जाना।

यशोदा मैया ने छोड़ दिया है खाना,
कसम है मैया की,उन्हें तुम मत रुलाना।

राधा की अब,सूख गए हैं आँख में आँसू,
तुम बिन हम,मैं किसके आगे गीत गाऊँ।

रो रही है ये नदिया,वैली और वृक्ष,
आकर तुम उन्हें जीवन दो बख्श।

सूनी-सूनी हैं गोकुल की गलियाँ,
कब खिलेगी बाग में फूल और कलियाँ ?

लौट आ कन्हैया पनघट पर पनिया,
कंकर मारकर तोड़ दे तू मेरी गगरिया।

ओ मेरे कृष्ण कन्हैया रंग रसिया,
तुम बिन न बजे यहाँ मीठी बाँसुरिया।

तेरे लिए दही माखन बिलोया,
मक्खन चुराने तुम आ जाओ कन्हैया।

एक बार बाँसुरी की धुन बजाओ,
अपनी प्यारी राधा को मधुर संगीत सुनाओ॥

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