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तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज

पर्यावरण दिवस पर कवि सम्मेलन

सरगुजा (छग)।

कलम की सुगंध छंंदशाला के तत्वावधान में पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। भारत के अनेक राज्यों से रचनाकारों ने इसमें प्रतिभागिता की। रचना ‘तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज’ को खूब पसंद किया गया।
मंच संचालिका अनिता मंदिलवार ‘सपना’ ने बताया कि,कार्यक्रम में संस्थापक संजय कौशिक ‘विज्ञात’,अध्यक्ष बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ मुख्य अतिथि साखी गोपाल पंडा,मीडिया प्रभारी नीतू ठाकुर ‘विदुषी’,मीडिया सह प्रभारी प्रजापति कैलाश सुमा की उपस्थिति रही। शुरुआत पूजा शर्मा ने सरस्वती वंदना से की। भारत के ४० सदस्यों ने ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से सस्वर काव्य पाठ कर ऐसा माहौल बना दिया,जैसे सभी रूबरू हो कर काव्य पाठ का आनंद ले रहे हैं। सभी रचनाएँ पर्यावरण जागरूकता और धरा को सम्मान देती हुई केन्द्रित रही।
काव्य पाठ में संजय कौशिक ने सुन्दर और सार्थक दोहे प्रस्तुत किए-
‘तान गई डीजे बजे,बीन गई खो आज।
शोर प्रदूषण यूँ करें,नहीं नेत्र में लाज॥
नृत्य नाग-नागिन गया,नाच रहे अब कौन।
डीजे पर हो भांगड़ा,बीन हुई है मौन॥’
अनिता मंदिलवार ने पर्यावरण को समर्पित गीत-
‘वृक्ष हैं जीवन का आधार
यही है धरती का श्रृंगार।
पेड़-पौधे धरोहर अपनी,
आज यही प्रकृति के उपहार॥’ प्रस्तुत किया।
ऐसे ही बाबूलाल शर्मा ने लावणी छंद-‘शस्य श्यामला इस धरती को,आओ मिलकर नमन करें।’ प्रस्तुत किया तो इन्द्राणी साहू ‘साँची’ नें मुक्तक-‘खड़े तरु तान कर सीना गगन को चूमते सारे,सुपथ सौंदर्य से भरते कड़कती धूप भी हारे।’ की प्रस्तुति दी।
सम्मेलन में मधु गुप्ता सहित अन्य प्रतिभागी आरती मेहर रति,अलका जैन आनंदी,डिवी जैन,हेमलता राजेंद्र शर्मा,मनस्विनी,अजय पटनायक मयंक, पुष्पेन्द्र शुक्ला,सुशीला साहू,भावना शिवहरे,आरती श्रीवास्तव,गुलशन खम्हारी,अर्चना पाठक ‘निरंतर’ एवं डॉ. एन. के. सेठी आदि की प्रस्तुति बेहतरीन रही।
सम्मेलन का संचालन चमेली कुर्रे,पूजा शर्मा व चंद्रकिरण शर्मा ने किया। कार्यक्रम का उत्तम संयोजन राधा तिवारी ने किया। मंच संचालिका अनिता मंदिलवार ने सबका आभार व्यक्त किया।

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