कुल पृष्ठ दर्शन : 154

You are currently viewing ‘हार हमें स्वीकार नहीं’ से जगाया श्रोताओं में विश्वास

‘हार हमें स्वीकार नहीं’ से जगाया श्रोताओं में विश्वास

मंडला(मप्र)।

साहित्यिक संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन ने ‘कोरोना’ से पीड़ित मानवता में विश्वास पैदा करने हेतु ‘हार हमें स्वीकार नहीं’ विषय पर काव्य समागम किया। इसमें वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से सबका हौंसला बढ़ाया।
संस्था के संस्थापक डॉ. राजीव कुमार पाण्डेय ने कविता पाठ करते हुए कहा-‘बातें करते आँख डालकर,करते नहीं कभी मनुहार। जंग जीतने के आदी है,करते नहीं हार स्वीकार।’ ऐसे ही मंडला
के सुपरिचित रचनाकार प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे ने पढ़ा-‘दिलों में चाहतें,जज़्बा मुहब्बत की कहानी है। किसी के प्यार से ही तो महकती ये जवानी है।’
नेपाल से वरिष्ठ कवि जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि,ऐसे आयोजन हमारे अंदर सकारात्मक विचारों को बढ़ाकर ऊर्जा प्रदान करते हैं। संस्था के महासचिव गीतकार ओंकार त्रिपाठी के गीतों की पंक्तियों को भी सराहा गया तो मुम्बई से गीतकार डॉ. हरिदत्त गौतम अमर की कविता को भी सराहना मिली। संस्था की कोषाध्यक्ष अनुपमा पाण्डेय ‘भारतीय’ ने भी अलग अंदाज में सबका हौंसला बढ़ाया।
सोमदत्त शर्मा,शंकरलाल जांगिड़,प्राची चतुर्वेदी, राधिका गुरगेन,कुसुमलता ‘कुसुम’,राजकुमार ब्रज,सरिता अग्निहोत्री,राजकुमार छापड़िया,विनय शास्त्री एवं रेणु शर्मा आदि कवियों ने भी अपने काव्य पाठ से नई ऊंचाइयां प्रदान की।
आयोजन का संचालन दिल्ली से रजनीश स्वछंद ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ संचालक रजनीश स्वछंद की वाणी वन्दना से हुआ।संस्था के अध्यक्ष डॉ. पांडेय ने सभी रचनाकारों का आभार प्रकट किया।

Leave a Reply