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शपथ

अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)
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सदा सच बोलूँ,ये शपथ लेता हूँ।
झूठ की पोल खोलूँ,ये शपथ लेता हूँ।
भ्रष्ट कदम डगमगाने लगे अगर कभी तो-
उन कदमों में शूल चुभाऊँ,ये शपथ लेता हूँ।

निष्ठापूर्वक कार्य करूँ,ये शपथ लेता हूँ।
मुश्किल राह से ना डरुं,ये शपथ लेता हूँ।
फिर भी असफल हो जाऊँँ अगर कभी तो-
पुन: प्रयास कर लक्ष्य पाऊँ,ये शपथ लेता हूँ।

बेटियों को बचाऊँ,ये शपथ लेता हूँ।
मारने वाले को दंड दूँ,ये शपथ लेता हूँ।
ढाल बन साथ खड़ा रहूँ अगर कभी तो-
हर वहशी का सिर कलम करूँ,ये शपथ लेता हूँ।

बच्चों को रिझाऊँ,ये शपथ लेता हूँ।
बुजुर्गों का मान करूँ,ये शपथ लेता हूँ।
राह में मिलें दीन-दुखी अगर कभी तो-
गले लगा खुशियों का दरिया बनूँ,ये शपथ लेता हूँ।

परिचय-अर्चना पाठक का साहित्यिक उपनाम-निरन्तर हैl इनकी जन्म तारीख-१० मार्च १९७३ तथा जन्म स्थान-अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)हैl वर्तमान में आपका स्थाई निवास अंबिकापुर में है। हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत भाषा जाने वाली अर्चना पाठक छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैंl स्नातकोत्तर (रसायन शास्त्र),एलएलबी सहित बी.एड. शिक्षा प्राप्त की हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्याख्याता)हैl सामाजिक गतिविधि के निमित्त बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयास में सक्रिय अर्चना जी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, लेख,गीत और ग़ज़ल हैl प्रकाशनाधीन साझा संग्रह हैl पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई है तो आकाशवाणी(अंबिकापुर) से कविता पाठ का निरन्तर प्रसारण होता है। आपको प्राप्त सम्मान में साहित्य रत्न-२०१८,साहित्य सारथी सम्मान- २०१८ और कवि चौपाल शारदा सम्मान हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं को उजागर कर समाजसेवा में भागीदारी अपनी लेखन कला का विकास एवं सक्रियता बनाये रखना है। आपकी पसंदीदा हिंदी लेखक-श्रीमती महादेवी वर्मा है,तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। अर्चना जी का सबके लिए संदेश यही है-मन की सुनते जाओ,जो तुमको अच्छा लगता हो वही करो,जबरदस्ती में किया गया कार्य खूबसूरत नहीं होता है। विशेषज्ञता-कविता लेखन है।

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