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तीन रंगों से निर्मित कफ़न हो मेरा-प्रो. खरे

काव्य गोष्ठी….

मंडला (मप्र)।

यह ही चाहत यही भाव अंतर मेरे, तीन रंगों से निर्मित कफ़न हो मेरा॥ साहित्यिक विद्वज्जनों का हृदयतल से आभार ज्ञापित करता हूँ , जिन्होंने लोक मंगल की कामना को समर्पित काव्य की रसधार बहाई।

मंडला के प्रसिद्ध कवि-साहित्यकार प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे ने अपने मुख्य आतिथ्य में आयोजित कवि सम्मेलन में प्रस्तुति देते हुए यह बात कही। रायबरेली (उप्र) की प्रख्यात कवयित्री डाॅ. गीता पाण्डे द्वारा माँ शारदे की वंदना एवं गुजरात के ओज कवि चन्द्रप्रकाश गुप्त के उत्कृष्ट संचालन में यह आयोजित हुआ, जिसमें एक से बढ़ कर एक रचनाएँ और काव्य पाठ करते कलमकारों का उत्साह दिखा। वाणी वंदना में शंख ध्वनि के घोष के साथ पाठ का शुभारम्भ हुआ। सम्मेलन में कृष्ण कुमार मानव, हिम्मत चौरड़िया, राजकुमार छापड़िया, श्याम बिहारी लाल शलभ, जय प्रकाश नागला और मानसिंह बघेल आदि ने लोक मंगल की कामना को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र प्रेम को समर्पित काव्य रचनाएँ प्रस्तुत कर पल्लव काव्य मंच को गौरवान्वित किया।

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