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तीरथ राज प्रयाग

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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त्रिवेणी के संगम में छुपा बड़ा है राज,
गंगा, यमुना, सरस्वती, अद्भुत है अनुराग
महाकुंभ स्नान पर दिखता है बैराग,
संगम तट में बसा, सनातनी का राग
तीरथ सबसे है बड़ा, तीर्थ राज प्रयाग।

जिनके कदम यहाँ पड़े जागे सारे भाग,
माँ गंगा-यमुना-सरस्वती निर्मल पवित्र भू-भाग
कटते सारे पाप यहाँ, मिटते हैं संताप,
त्रिवेणी की डुबकी लेते ही खुलते सबके भाग्य
मोक्ष भी पाते सब यहाँ, जिसे आने का सौभाग्य।

कार्तिक पूर्णिमा के स्नान से बैकुंठी शिष्ट निगाह,
इसकी महिमा व्यापक है, न मानो अफवाह
संगम के स्नान से मिलेगा दिव्य ज्ञान प्रवाह,
नकारात्मक ऊर्जा होगी पूरी तबाह
तृप्त होंगे नर-नारी, नदियाँ होंगी गवाह।

कहीं न कर कोई अब चिंता, तू न कर परवाह,
धरती यह ऋषियों की, नदियाँ बड़ी अथाह
माँ सरस्वती स्वयं दिखाती ज्ञान-मान की राह,
भारद्वाज ऋषि आशीष ले, श्री राम ने ली पनाह
माँ गंगा को स्पर्श पॉंव से मेरे आज, क्षमा हो मैया गुनाह।

हजारों साल की इस मिट्टी को नमन है मेरा आज,
ऐतिहासिक स्वाभिमान का धरे यहाँ है राज
आज़ादी के अमर सिपाही शहीद चंद्रशेखर आजाद,
क्रांति की मिट्टी को चरण वंदन, तिलक से कर लूँ साज
जवाहर, इंदिरा, राजा मांडा विश्वनाथ ने किया देश पर राज।

त्रिवेणी संगम जल राज्याभिषेक में खास,
कितने राजाओं के राज का कहता है इतिहास
इस मिट्टी ने जगाया था, आज़ादी का अटूट विश्वास।
आज़ादी पूर्व से ‘प्रयाग’
(इलाहाबाद) है कानून और शिक्षा केंद्र खासम-खास,
चलो तिरंगा यात्रा में कर लें दृढ़ विश्वास, नई ज्योति से पूरी हो जन-जन की सब आस॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”