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दंत विहीन संघ संयुक्त राष्ट्र

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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संयुक्त राष्ट्र संघ का महत्व वर्तमान में उतना प्रभावशाली नहीं है। वह बिना दांत का शेर है, क्योंकि संघ में विकसित देशों की पकड़ है। पिछले वर्ष रूस और यूक्रेन युद्ध में संयुक्त राष्ट्र ने कोई भी महती भूमिका नहीं निभाई। वर्तमान में इज़राइल और हमास के युद्ध में संयुक्त राष्ट्र मूक दर्शक बना बैठा है। आज संयुक्त राष्ट्र के समान्तर कई विश्व स्तरीय संगठन बने हैं, जैसे जी-२०। दसों संगठन बने हैं और सब अपने-आपको श्रेष्ठ समझते हैं। आज विश्व कई धड़ों में बंटा है। कोई अमेरिका के साथ, कोई रूस के साथ, कोई चीन के साथ और इस समय सशक्त अरब देशों में एकजुटता है। सब एक-दूसरे से बढ़-चढ़ कर अपना स्थान बनाए हुए हैं।
‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ एक वार्षिक स्मारक दिवस है, जो २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक निर्माण को दर्शाता है। ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ नामक पहला आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध के मित्र राष्ट्रों की एकजुटता का दिन था और संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के ६ महीने बाद अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा अमेरिकी ध्वज दिवस के साथ संयुक्त सैन्य परेड शुरू की गई थी।

‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ को पारंपरिक रूप से दुनियाभर में संगठन की उपलब्धियों और लक्ष्यों के बारे में बैठकों, चर्चाओं और प्रदर्शनों के साथ मनाया जाता है। दुनियाभर में कई अंतरराष्ट्रीय विद्यालय भी ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ पर अपने छात्र निकाय की विविधता का जश्न (जरूरी नहीं कि २४ अक्टूबर को मनाया जाए) मनाते हैं।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।