कुल पृष्ठ दर्शन : 261

दर्शकों की बड़ी जिज्ञासा होती है पुनर्जन्म वाली फिल्मों में

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
*******************************************************

दोस्तों,भारत में फ़िल्म बनाने के विषयों में एक विषय पुनर्जन्म भी रोचक रहा है,क्योंकि इस विषय में दर्शकों की बड़ी जिज्ञासा होती हैl एक किरदार की पिछली ज़िन्दगी से वर्तमान ज़िन्दगी को जोड़ना और फिर उस इंसान को पिछले जन्म का याद आना,उसके बाद पिछले जीवन के अधूरे काम जिसके कारण उस इंसान का पुनर्जन्म होना,ये बड़ी रोचकता के साथ जिज्ञासा भरा होता हैl भारतीय सनातन पुराण भी इस तरह के पुनर्जन्म की पुष्टि करते हैं तो दर्शकों की जिज्ञासा, रूझान के साथ आस्था भी जुड़ जाती हैl
वैसे,असल जीवन में भी पुनर्जन्म के कई अकाट्य सबूतों के साथ उदाहरण मिले हैं,जिससे यह पुनर्जन्म की आस्था और प्रबल हो जाती है,साथ ही वेद-पुराणों में मिलता है कि,शरीर नश्वर है,आत्मा अजर- अमर होती है,लेकिन पुनर्जन्म आधारित विषय फिल्म की सफलता की गारंटी हो,ऐसा ज़रूरी नहीं होता हैl
साथियों,इसकी भारतीय सिनेमा में आधी सदी पहले ही शुरूआत हो गई थी-
#महल(१९४९)-अशोक कुमार,मधुबाला,कनु रॉय की इस फिल्म के निर्देशक कमाल अमरोही थेl शंकर एक हवेली में जाता है,तो पता चलता है यहां एक प्रेम कहानी का दुःखद अंत हुआ था,और वह खुद को उस कहानी में पाता हैl एक महिला से मुलाकात होती है जो उसकी प्रेमिका होने का दावा करती हैl
#मधुमती(१९५८)-दिलीप कुमार,वैजयंती माला,प्राण,जयंत,जॉनी वॉकर थे तो निर्देशक विमल रॉय रहेl रेलवे स्टेशन जाते समय देवेंद्र भूस्खलन में कहीं फंस जाता है,वह एक मकान में शरण लेता है जो जाना-पहचाना लगता हैl फिर उसे पता चलता है कि यह उसका पुनर्जन्म हैl फिर परत दर परत पिछले जन्म की बातें खुलती हैl सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्म फेयर अवार्ड भी मिला थाl
#मिलन(१९६७)-सुनील दत्त,नूतन,प्राण,देवेन वर्मा कलाकार रहे तो निर्देशक अदुर्थी सुब्बा रॉव थेl एक नाविक गोपी और अमीर राधा का प्रेम हो जाता हैl राधा विधवा होती है तो दोनों के सम्बन्धों को अवैध करार दिया जता हैl दुखद घटना घटती है,दोनों का पुनर्जन्म होता हैl सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म फेयर संगीतकार का पुरुस्कार इस फ़िल्म को मिला थाl
#महबूबा(१९७६)-राजेश खन्ना,हेमा मालिनी,शक्ति सामंत,असरानी, प्रेम चोपड़ा,मदन पुरी थे तो निर्देशक-शक्ति सामंत रहेl सूरज आँधी-तूफान में फँसकर एक गेस्ट हाउस में पहुँचता है,जहां वह पहली बार आया है,लेकिन वह महसूस करता है कि वह यहां पहले या चुका थाl फिर पुनर्जन्म का रहस्य खुलता हैl
#कुदरत(१९८१)-राजेश खन्ना,हेमा मालिनी,राजकुमार,विनोद खन्ना और प्रिया राजवंश ने अभिनय किया थाl निर्देशक-चेतन आनन्द थेl
चन्द्रमुखी शिमला जाती है,उसे वहाँ हर जगह देखी-भाली लगती हैl उसे ज्ञात होता है कि वह पारो का पुनर्जन्म है,अपने अतीत के कातिलों को सज़ा दिलाती हैl सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए इसे फ़िल्म फेयर सम्मान मिला थाl
#प्रेम(१९९५)-संजय कपूर,तब्बू,अमरीश पुरी की इस फिल्म के निर्देशक-सतीश कौशिक थेl संजय को बार-बार पिछले जन्म की घटनाएं याद आती रहती हैंl जिस पिछले जन्म में वह शांतनु था, उसका और लाछी का प्रेम असफल हो गया था,जो इस जन्म में मुकम्मल होता हैl यह फ़िल्म नाकामयाबी की श्रेणी में आती है, लेकिन इसके जिक्र के बिना यह फेहरिस्त अधूरी लगती हैl
#करण अर्जुन(१९९५)-सलमान,शाहरुख,राखी,काजोल,ममता, अमरीश पुरी का अभिनय था तो निर्देशक-राकेश रोशन रहेl
मेरे करण अर्जुन आएंगे..., तो एक अभागी माँ को इंसाफ दिलाने के लिए करण-अर्जुन पुनर्जन्म लेकर आ जाते हैं,और अपनी माँ को इंसाफ दिलाते हैंl यह ब्लॉक बस्टर कामयाब रहीl
#हमेशा(१९९७)-सैफ अली,काजोल,आदित्य पंचोली थे तो निर्देशक- संजय गुप्ता रहेl यश,राजा और रानी बचपन के दोस्त हैंl राजा,रानी को प्यार हो जाता है,यश उनका कत्ल करवा देता हैl २० साल बाद राजा और रानी फिर जन्म लेकर आ जाते हैं,तथा यश से अपने पिछले जनम की मौत का बदला लेते हैंl
#ओम शांति ओम(२००७)-शाहरुख खान,दीपिका पादुकोण,श्रेयस तलपड़े,किरण खैर,अर्जुन रामपाल वाली इस फिल्म की निर्देशक- फरहा खान थीl ओम एक जूनियर आर्टिस्ट है,उसे बड़ी सुपर स्टार अदाकारा शांति से मुहब्बत हो जाती है,लेकिन शांति को मुकेश आग के हवाले कर देता हैl आग से बचाने में ओम को जान गंवानी पड़ती हैl ३० साल बाद ओम और शांति का पुनर्जन्म होता है,दोनों मिलकर पिछले जन्म के कातिल से बदला लेते हैंl
#मगधीरा(२००९)-तेलगु भाषी दक्षिण भारतीय फ़िल्म हैl राम चरण तेजा,काजल अग्रवाल,श्रीहरि,देव गिल रहे तो निर्देशक-एस.एस. राजमौली थेl इंदु के पिता की हत्या का आरोप हर्ष पर लगाया जाता हैl उसे अगवा कर लिया जाता है,अब हर्ष और इंदु की लगातार मुलाकात होती जाती हैl हर्ष और इंदु को पिछले जन्म की बातें याद आती जाती हैl इस फ़िल्म में एक या दो नहीं,चार-चार पुनर्जन्म किरदार पेश किये गए थेl फ़िल्म ब्लॉक बस्टर फ़िल्म थी,जो न केवल तेलगु,वरन हिंदी डब में भी खूब सराही गई थीl फ़िल्म के वीएफएक्स, एनिमेशन और एक्शन दृश्य लाजवाब थेl
#मक्खी(२०१२)-तेलगु भाषी दक्षिण भारतीय फ़िल्म थीl सामंथा प्रभु, नानी,सुदीप थे तो निर्देशक एस.एस. राजमौली,सत्यनारायण रहेl नानी,बिंदु एक-दूसरे से प्यार करते हैं,सुदीप बिंदु के प्रति आकर्षित है तो वह नानी की हत्या करवा देता हैl नानी पुर्नजन्म लेकर मक्खी के रूप में वापस आ जाता है,अब बिंदु और नानी सुदीप का जीना दुश्वार कर देते हैंl फिर नानी अपनी मौत का बदला लेकर ही शांत होता हैl
कुछ फिल्मों को फेहरिस्त में शामिल नहीं किया,जैसे-जानी दुश्मन-२००२,जनम जनम-१९८८,तेरी-मेरी कहानी-२०१२, मिर्जिया-२०१६,कर्ज-१९८० और २००८,मिस्टर एन्ड मिस-२००५, डेंजरस इश्क-२०१२,अब के बरस-२००२,राब्ता-२०१७l

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

Leave a Reply