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दिवाली आई खुशियाँ लाई

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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सबके घर की हुई सफाई,
सज गए आँगन और अँगनाई
दीपों से बाज़ार है छाया,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई।

हर ओर होती साफ़-सफाई,
दीवारों पर होती रंग-पुताई
घर में सबने दीया है जलाई,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई।

लक्ष्मी माँ की हुई पुजाई,
सबने खूब मिठाई खिलाई
बच्चों ने फुलझड़ियाँ जलाई,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई।

कहे ‘उमेश’ कि सुनो हे भाई,
जीवन तो बहुमूल्य है भाई
सेवा कर इसे लो धन्य बनाओ,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई।

पटाखे नहीं,तुम लो दीप जला,
धुआँ नहीं,खुशबू बाँटो हे भाई
खुश होंगी तब अपनी लक्ष्मी माई,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई।

‘उमेश’ की बात को लो गठियाई,
बंधुत्व का नाता तुम लो अपनाई
धरती ही तब स्वर्ग बन जाई,
दिवाली आई,खुशियाँ लाई॥

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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