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दृष्टि

ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश
नीमच(मध्यप्रदेश)
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महात्मा गाँधी जयंती विशेष………

महात्मागांधी की मूर्ति के हाथ की लाठी टूटते ही मुँह पर अंगुली रखे हुए पहले बंदर ने अंगुली हटा कर दूसरे बंदर से कहा,-”अरे भाई ! सुन,अपने कान से अंगुली हटा दे।”

उसका इशारा समझ कर दूसरे बंदर ने कान से अंगुली हटा कर कहा,-”भाई मैं बुरा नहीं सुनना चाहता हूँ,यह बात ध्यान रखना। ”

”अरे भाई ! जमाने के साथ-साथ नियम भी बदल रहे हैं।” पहले बंदर ने दूसरे बंदर से कहा,-” अभी-अभी मैंने डॉक्टर को कहते हुए सुना है। वह एक भाई को शाबाशी देते हुए कह रहा था,आपने यह बहुत बढ़िया काम किया। अपनी जलती हुई पड़ोसन के शरीर पर कंबल न डाल कर पानी डाल दिया। इससे वह ज्यादा जलने से बच गई।शाबाश।”

यह सुन कर तीसरे बंदर ने भी आँख खोल दी,-”तब तो हमें भी बदल जाना चाहिए!’ उसने कहा तो पहले बंदर ने महात्मा गांधी की लाठी देखते हुए कहा,-”भाई ठीक कहते हो। अब तो महात्मा गांधी की लाठी भी टूट गई है. अन्नाजी का अनशन भी काम नहीं कर रहा है। अब तो हमें भी कुछ सोचना चाहिए।”

”तो क्या करें ?” दूसरा बंदर बोला।

”चलो! आज से हम तीनों अपने नियम बदल लेते हैं।”

”क्या ?” तीसरे बंदर ने चौंक कर गांधीजी की मूर्ति की ओर देखा,वह उनकी बातें ध्यान से सुन रही थी।

”आज से हम-अच्छा सुनो,अच्छा देखो और अच्छा बोलो,का सिद्धांत अपना लेते हैं।” पहले बंदर ने कहा,तो गांधीजी की मूर्ति के हाथ अपने मुँह पर चला गया और आँखें आश्चर्य से फैल गई।

परिचय-ओमप्रकाश क्षत्रिय का निवास  मध्यप्रदेश के नीमच जिले में है। उपनाम `प्रकाश` से लेखन जगत में सक्रीय श्री क्षत्रिय पेशे से शासकीय विद्यालय में सहायक शिक्षक हैं। इनका जन्म २६ जनवरी १९६५ को हुआ है। आपने शिक्षा में योग्यता के तहत ३ बार बी.ए. और ५ विषयों में एम.ए. किया हुआ है। मध्यप्रदेश के रतनगढ़(नीमच) में बसे हुए होकर आपकी लेखन विधा-बाल कहानी,लेख,कविता तथा लघुकथा है। विशेष उपलब्धि यह है कि,२००८ में २४,२००९ में २५ व २०१० में १६ बाल कहानियों का ८ भाषाओं में प्रकाशन हो चुका है।  २०१५ में लघुकथा के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए आपको जय-विजय सम्मान सहित बालाशोरी रेडी बालसाहित्य सम्मान २०१७, स्वतंत्रता सेनानी ओंकारलाल शास्त्री सम्मान-२०१७ और इंद्रदेवसिंह इंद्र बालसाहित्य सम्मान-२०१७ प्राप्त हुआ है। हिंदी के साथ ही अन्य भाषाओं से भी प्रेम करते हैं। बाल कविता संग्रह-`उड़ा आसमान में हाथी` तथा `चतुराई धरी रह गई` आदि प्रकाशित हैl 

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