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नया वर्ष-नया संकल्प-नया उत्साह

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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नव वर्ष विशेष….

‘नेह निभाने आ गया,एक और नव वर्ष।
आओ,हम आगे बढ़ें,लेकर मन में हर्ष॥’

हर नया साल कुछ नई उम्मीदें लेकर आता है और बहुत से लोग हर बार नववर्ष पर संकल्प करते हैं लेकिन इनमें से अधिकांश संकल्प टूट जाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इनका टूटना लाजमी है, क्योंकि आधे-अधूरे मन से सिर्फ रस्म अदायगी के लिए किए गए वादे कभी पूरे नहीं होते।
नववर्ष एक अच्छा अवसर होता है,जिसमें अपनी बुरी आदतों को त्यागने और अपनी जीवनचर्या में सुधार के संकल्प किए जा सकते हैं। यह संकल्प सालभर चल सके,इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति इनके लिए पहले से तैयारी करे,अपना मन बनाए और दृढ़ इच्छाशक्ति से काम ले। मनुष्य का स्वभाव है कि वह नई चीजों से आकर्षित होता है,नई परिस्थितियों के बारे में योजनाएं बनाता है। यही वजह है कि लोग नए साल के अवसर पर नए संकल्प करते हैं। यह आम प्रवृत्ति है कि हर कोई चाहता है कि आने वाला समय उसके लिए अच्छा साबित हो,इसीलिए वह भविष्य के स्वागत में अपने में भी बदलाव की कोशिश करता है और बदलाव की इसी इच्छा को वह नए संकल्पों के रूप में व्यक्त करता है।
नए साल पर अधिकांश लोग नशे की अपनी आदत को छोड़ने अथवा अपनी जीवनचर्या से संबंधित संकल्प करते हैं। जैसे-मंदिर जाना,सुबह जल्दी उठना,मॉर्निंग वॉक का नियम,रोज धर्म से सं‍बंधित किताबें पढ़ना आदि…। इन संकल्पों के पीछे यह मूल भावना होती है कि उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़े। वे अधिक समय तक स्वस्थ जीवन जी सकें। नए वर्ष पर लोग संकल्प तो करते हैं,लेकिन देखने में आता है कि अधिकांश लोग जल्द ही इन्हें तोड़ भी देते हैं।
संकल्प तोड़ने की सबसे बड़ी वजह यह होती है कि ये बिना जरूरी तैयारियों के किए जाते हैं। नशे की आदत अगर पुरानी हो तो इसे रातों-रात नहीं बदला जा सकता। इसके लिए खुद को तैयार करना पड़ता है और मन को मजबूत करने की जरूरत पड़ती है।
हमें जोश में नहीं,बल्कि होश में संकल्प लेना चाहिए,और आत्मबल को जागृत करते हुए संकल्प पूर्ण करने के लिए प्रयत्नरत् रहना चाहिए। यदि हम अपनी इच्छा शक्ति को दृढ़ता के साथ जाग्रत कर लें,तो फिर कोई कारण नहीं कि हमें निराश होना पड़े।
‘नया साल गाने लगा,शुभ-मंगल के गीत।
आओ,नव संकल्प के,बन जाएँ मनमीत॥’

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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