कुल पृष्ठ दर्शन : 156

You are currently viewing निकली बारात देखो

निकली बारात देखो

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
**********************************

निकली बारात देखो
डमरु है बाज रहा,
बाज रही ढोलक,मेरा
भोला भी नाच रहा।

देव पुष्प चढ़ाएं
दानव भभूत उड़ाए,
मुण्डों की पहन माला
शम्भू भी साज रहा।

कोई औघड़ है बोले
कोई मरघट से तोले,
कहे बूढ़ा जमाई
सहे दक्ष भी रुसवाई।

नन्दी भी पहन घुंघरू
झुमरू-सा हांक रहा,
देख दूल्हा निराला
हर कोई दुल्हन को वाच रहा।

सात फेरों पे हर कोई
आँखों को ढांक रहा।
देख रुप मोहिनी तब भोले का,
हर कोई लाज रहा॥

Leave a Reply