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नेक बनें हम

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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अगर चाह है नेक बनें हम,
तुमको तिल-तिल गलना होगा
जग का अंधियारा तभी मिटेगा,
खुद बन दीप-सा जलना होगा।

विश्व बंधुत्व की बहेगी बयार,
होंगे विद्व मनीषी यहां तैयार
आएगा तभी सबमें सुविचार,
सत्य की राह जब चलना होगा।
खुद बन दीप-सा जलना होगा…

होगा धर्म-संस्कृति का भी रक्षण,
दिव्य वैदिक-संस्कृति भी फैलेगी
सबका उत्कर्ष सहज ही होगा,
निज स्वार्थ तुम्हें ही दलना होगा।
खुद बन दीप-सा जलना होगा…

सरस सरल अंतस गहरी,
साहिल की चंचल स्वर लहरी।
नव कमल-सा दर्श दिखाना,
आजाद अकेला मचलना होगा।
खुद बन दीप-सा जलना होगा…॥

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