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प्यार भरा खत लिखूं

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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प्यार को प्यार भरा खत प्राणेषु लिखूं,
जानम! सच दिल जो गाए, वही लिखूं।

झमेलों से दूर रह प्यार फरमाया यूँ मैंने,
कभी अपना समझ लेना, खत यूँ लिखूं।

अपने तो अपने ही होते भूले- अनजाने,
फिर क्यों न यादों में, तुझे खत लिखूं।

रातें गुजरती हैं बेदर्द हो के चंदा के रहते,
जाग सुबह नमन है प्रभु! तो खत लिखूं।

जीवन की ख्वाहिशें लम्बी ना हो ‘किरण’,
जब तक जीऊं, बस प्यार में खत लिखूं॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।