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प्रकृति

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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कई रूप,कई मौसम,सराबोर है प्रकृति,
अनेक रंग-बिरंगी,लिए आकर्षक आकृति।

झरने,नदियों,पहाड़ों से मिलकर बना अस्तित्व,
महकती हवाएं,खुली फिजाओं से सजा व्यक्तित्व।

मनमोहक रुप,सुंदर सलोनी काया,
मानो सौंदर्य की देवी की प्रतिछाया।

हरी-हरी घास मनमुग्ध कर देने वाली नन्हीं कली,
लगता है ऐसे,जैसे पृथ्वी को आँचल में लिए हरियाली।

पृथ्वी तल से अनंत तक फैली रंग-बिरंगी चादर,
जाने कहाँ से कहाँ तक धरती-अम्बर का है सफर।

जहाँ तक दूर तक जाने वाली नजर असहज,
वहीं कहीं किसी छोर पर प्रतीत होता क्षितिज।

बैंगनी,जामुनी,नीला,हरा,पीला,नारंगी,लाल को समाया,
और इन सारे रंगों को संजोकर सुंदर इन्द्रधनुष है बनायाll

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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