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प्रेम

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

प्रेम क्या है ? महज एक रिश्ता स्त्री पुरुष का या व्यापक अर्थों में एक जीव का दूसरे जीव से। एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति,फिर चाहे वह मनुष्य का हो या प्राणी जगत के किसी भी प्राणी मात्र से हो।
अरस्तु जैसे दार्शनिक ने कहा-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है,उसी सामाजिकता की प्रथम सोपान ही प्रेम है,जिसे हम सूक्ष्म से विस्तृत विश्व बंधुत्व तक महसूस करते हैं। सभी धर्मों का मूल प्रेम ही है। बुद्ध ने प्रेम करना सिखाया,ईशा ने प्रेम का पाठ पढ़ाया,वहीं राम ने अटूट प्रेम के बंधन से बंधना सिखाया,नानक ने जीवों पर प्रेम बरसा कर धर्म का पाठ पढ़ाया। कृष्ण की बांसुरी में प्रेम की तीव्र ललक है,तो अल्लाह ने मोहब्बत का पैगाम सारी कायनात में फैलाया। प्रेम ही खुदा है,उसकी इबादत में प्रेम है।
प्रेम अभिव्यक्ति है,प्रेम अहसास है,प्रेम समर्पण है। सच्चा प्रेम देह जनित नहीं,अपितु आत्मिक होता है। उसे किसी बाह्य आडम्बर की जरूरत नहीं। प्रेम में त्याग है,बलिदान है,यह स्वार्थ रहित,अलौकिक शक्ति सम्पन्न होता है,जिसे व्यक्त करने के लिए शब्द की आवश्यकता नहीं होती। यह मानसिक निष्पत्ति की ओर क्रमशः अग्रसित होता है। इसमें जीवन की खुशबू समाई रहती है। सम्पूर्ण जीवन-चक्र इस प्रेम के इर्द-गिर्द घूमता कई कई स्वरूपों में प्रदर्शित होता रहता है। फिर वह चाहे बच्चों के प्रति वात्सल्य रस से सराबोर हो या राधा-कृष्ण की तरह श्रृंगार रस से।
स्त्री के प्रेम में तृप्ति होती है,समर्पण होता है।आसान नहीं होता प्रेम के स्वरूप को समझना। यह मान-सम्मान से ऊपर उठ जाता है,यह धन-वैभव से बहुत दूर एक-दूसरे की खुशी में तृप्ति होती है। प्रेम अपनी दुनिया वहीं बसा लेता है,जहाँ उसे आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
प्रेम की भाषा व्यापक है। यह मूक है,यह जन्म- जन्मान्तर चलने वाली निरन्तर प्रक्रिया है। प्रेम शाश्वत है,यह पूरे ब्रम्हांड को एक सूत्र में पिरो कर रखता है। प्रेम संतुष्टि एवं सुखानुभूति का पर्याय है। इसका संबंध हृदय से होता है। प्रेम न उम्र देखता है ना स्तर,इसलिए इसे किसी परिधि में नहीं बांध सकते। प्रेम विशाल आकाश है,समुद्र की गहराइयों से गहरे इसके मानदंड हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि,प्रेम कभी घृणा कर ही नहीं सकता,उसकी घृणा भी अतिरिक्त प्रेम ही है।
हमारी सभ्यता-संस्कृति का बीज मंत्र ही प्रेम है,अतः -‘ज्योति से ज्योति जलाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो,
राह में आए जो दीन-दुखी सबको गले से लगाते चलो…
प्रेम की गंगा बहाते चलो…॥’

परिचय-नमिता घोष की शैक्षणिक योग्यता एम.ए.(अर्थशास्त्र),विशारद (संस्कृत)व बी.एड. है। २५ अगस्त को संसार में आई श्रीमती घोष की उपलब्धि सुदीर्घ समय से शिक्षकीय कार्य(शिक्षा विभाग)के साथ सामाजिक दायित्वों एवं लेखन कार्य में अपने को नियोजित करना है। इनकी कविताएं-लेख सतत प्रकाशित होते रहते हैं। बंगला,हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित काव्य संकलन (आकाश मेरा लक्ष्य घर मेरा सत्य)काफी प्रशंसित रहे हैं। इसके लिए आपको विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया,जबकि उल्लेखनीय सम्मान अकादमी अवार्ड (पश्चिम बंगाल),छत्तीसगढ़ बंगला अकादमी, मध्यप्रदेश बंगला अकादमी एवं अखिल भारतीय नाट्य उतसव में श्रेष्ठ अभिनय के लिए है। काव्य लेखन पर अनेक बार श्रेष्ठ सम्मान मिला है। कई सामाजिक साहित्यिक एवं संस्था के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत नमिता घोष ‘राष्ट्र प्रेरणा अवार्ड- २०२०’ से भी विभूषित हुई हैं।

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