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रिश्तों का कारवाँ

विद्या होवाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र )
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

रिश्तों का कारवाँ उम्रभर ऐसी
राह चलता रहा,
हर मोड़ पर
बंधनों में उलझता ही रहा।
जीवन की हर डगर में अपनों से
अपनापन पाए बिना जूझता ही रहा,
मोहब्बत और नफरत की
करवटें बदलता ही नजर आया।
स्वार्थ और मतलबी अनबन में
भरोसे का दर्पण टूटता रहा,
अपेक्षाओं की लहरों में
जज्बातों का किनारा लगता ही रहा।
हरदम रिश्तों की श्रृंखला में पिरोया,
एक-एक मोती बिखरता ही रहा॥

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