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बनें सखा मजबूत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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नेहिल होती मित्रता, होती सदा पवित्र।
दुख में कर ना छोड़ता, हो यदि सच्चा मित्र॥

वही मित्र है ख़ास जो, कह दे चोखी बात।
रहे संग वह नित मगर, बनकर के सौगात॥

कृष्ण-सुदामा से सखा, नहीं मिलेंगे और।
ऐसा ही चलता रहे, सख्य भाव का दौर॥

पावनता का तेज हो, निश्छल हों सम्बंध।
बनें सखा मजबूत कर, अनुपम यह संबंध॥

अंतर्मन था निष्कलुष, गहन चेतना भाव।
अमर बने तब मैत्री, होगा नहीं अभाव॥

कृष्ण-सुदामा मैत्री, ने पाया सम्मान।
पनपे ना कोई कपट, केवल मंगलगान॥

एक देव था, एक नर, पर थे चोखे यार।
सख्य भाव देता सदा, हर युग में उजियार॥

ऊँच-नीच को भूलकर, बनना चोखे यार।
तब ही यह रिश्ता बने, आजीवन उपहार॥

मित्र करे ग़ल्ती अगर, बतला देना भूल।
पर तजकर के साथ तुम, नहीं चुभाना शूल॥

रखना हित का भाव नित, रखना उर में प्रीत।
जय होगी तब मित्रता, जय हो ऐसी रीत॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।