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बल-प्रखर महाराणा प्रताप

अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)
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राणा प्रताप प्रखर,प्रबल है प्रभाव,
अणु-अणु में मुखर अनंत,अडिग अटल स्वभाव।

राजपूत की नाक वे,आन-बान की शान,
बने प्रताप सदा ही,सबल सख्त इंसान।

मुगलों को धूल चटाई,अकबर नीयत भाँप,
घनी मूँछों वाले ने,छोड़ी अचूक छाप।

बलशाली भुजाओं से,सब शत्रु हुए अनाथ,
महाराज मेवाड़ के,सिर्फ समर्थ सनाथ।

कूट-कूट हुई पूरित,वीरता दृढ़ प्रण,
धन-दौलत चिंता नहीं,कर स्वाभिमान वरण।

नाम कीका बचपन का,तज खेल छुटपन का,
हथियारों से खेलते,न दंभ बड़प्पन का।

कुंभल राजा उदय सिंह,माँ कँवरी के लाल,
बाईस हजा़र सैनिक,दो लाख शत्रु हलाल।

सिसोदिया राजा पुत्र,राजवंश के काज,
मुगलों से युद्ध सूत्र,सदा रखी है लाज।

अंत पे शत्रु अकबर ने,दाँतों जीभ दबाय,
युग शौर्य पुरूष के लिये,अँखियन नीर बहाय।

अपने चेतक पर कभी,मुगल दाग न लगाय,
ऊँची रख पगड़ी सदा,कभी शीश न झुकाय॥

परिचय-अर्चना पाठक का साहित्यिक उपनाम-निरन्तर हैl इनकी जन्म तारीख-१० मार्च १९७३ तथा जन्म स्थान-अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)हैl वर्तमान में आपका स्थाई निवास अंबिकापुर में है। हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत भाषा जाने वाली अर्चना पाठक छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैंl स्नातकोत्तर (रसायन शास्त्र),एलएलबी सहित बी.एड. शिक्षा प्राप्त की हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्याख्याता)हैl सामाजिक गतिविधि के निमित्त बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयास में सक्रिय अर्चना जी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, लेख,गीत और ग़ज़ल हैl प्रकाशनाधीन साझा संग्रह हैl पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई है तो आकाशवाणी(अंबिकापुर) से कविता पाठ का निरन्तर प्रसारण होता है। आपको प्राप्त सम्मान में साहित्य रत्न-२०१८,साहित्य सारथी सम्मान- २०१८ और कवि चौपाल शारदा सम्मान हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं को उजागर कर समाजसेवा में भागीदारी अपनी लेखन कला का विकास एवं सक्रियता बनाये रखना है। आपकी पसंदीदा हिंदी लेखक-श्रीमती महादेवी वर्मा है,तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। अर्चना जी का सबके लिए संदेश यही है-मन की सुनते जाओ,जो तुमको अच्छा लगता हो वही करो,जबरदस्ती में किया गया कार्य खूबसूरत नहीं होता है। विशेषज्ञता-कविता लेखन है।

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