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भारत का शेर

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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राष्ट्रीय एकता का दूसरा नाम सरदार पटेल है। एक ऐसा व्यक्तित्व,जिसने यह साबित कर दिया कि व्यक्ति जन्म से नहीं,कर्म से महान होता है। अगर पटेल जी प्रथम प्रधानमंत्री बने होते,तो देश की स्थिति कुछ और होती। कश्मीर पाकिस्तान में न होकर
हिन्दुस्तान का अंग होता। सरदार पटेल साधारण परिवार में जन्मे अदभुत प्रतिभा के धनी थे।
पटेल जी गांधीजी के अनुयायी थे। उनके साथ सत्याग्रह आंदोलन और विदेशी वस्त्रों का त्याग आदि आंदोलनों में सहयोग के कारण कई बार जेल गए।
जगह-जगह घूम कर जनता को समझाया और धन एकत्र किया। वाकपटुता के धनी सरदार से कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था।
आपने प्लेग से पीड़ित किसानों की सेवा की,तो
साइमन कमीशन के विरोध में किसानों के साथ खड़े रहेl इनके सशक्त विरोध के कारण अंग्रेजी सरकार को साइमन वापस लेना पड़ा,तभी से इन्हें सभी सरदार नाम से पुकारने लगे। इनके सशक्त भाषण और कामों के कारण ये लगातार ३ बार अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष बने। इनकी लगातार लोकप्रियता के कारण इन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
गांधीजी के साथ मिलकर इन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। गांधी जी की मर्जी और नेहरू के हठ के कारण इन्होंने प्रधानमंत्री पद त्याग दिया और उप-प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री जैसे पद पर आसीन रहे।
#राष्ट्रीय एकीकरण-
स्वतंत्रता के पश्चात पटेल जी ने भारत के बिखरे राज्यों को जोड़ने के लिए एक राष्ट्र एक देश धर्म की नींव डालीl अथक प्रयास के बाद छोटे-छोटे राज्य तो मिल गए,किन्तु हैदराबाद,जूनागढ़ और कश्मीर के राजा तथा निज़ाम भारत में विलय को तैयार नहीं थेl तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी तीनों राज्यों को पाकिस्तान में विलय को तैयार हो गए किन्तु पटेल जी ने अपनी वाकपटुता से नेहरू को हस्ताक्षर करने पर विवश कर दियाl सेना की टुकड़ी लेकर हैदराबाद हवाई अड्डे पर डेरा डाल दिया और पाकिस्तानी हुक्मरानों को रोक दिया। इस तरह बिना लड़ाई के हैदराबाद,और जूनागढ़ तो भारत में विलय हो गए,पर जैसे ही कश्मीर पर अधिकार करने सेना बढ़ी,आधे रास्ते में ही संयुक्त राष्ट्र संघ जाने की धमकी देकर नेहरू ने भारतीय सेना को वहीं रोक दिया। इसी सशक्त एकीकरण के कारण पटेल जी को लौह पुरुष की संज्ञा दी गयी। वास्तव में उनके जैसा लौह पुरुष आज तक इस संसार में नहीं हुआ है। तभी महात्मा गांधी की हत्या हो गयी,जिससे पटेल जी को धक्का लगाl तत्पश्चात १५ दिसम्बर १९५० को ह्रदयघात से इस लौह पुरुष की भी मृत्यु हो गयीl मृत्योपरांत उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया और २०१३ में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा का गुजरात के भड़ूच जिले में नर्मदा के किनारे निर्माण प्रारम्भ हो गया,जिसका अनावरण ३१ अक्टूबर २०१८ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। यह विश्व की सर्वाधिक उच्च प्रतिमा है-१८२ मीटर ऊँची।
लौह पुरुष था वो,नाम था वल्लभ भाई</strong>
<strong> माता जिसकी लाड़बाई,पिता थे झाबर भाईl </strong>
<strong>किसी ने देखी न सुनी ऐसी छवि थी पाई,</strong>
<strong>सिंह-सी दहाड़,दिल में गरीबों की पुकार</strong>
<strong>राष्ट्रीय एकता की कसम जिसने थी खाईll </strong>
<strong>देश का नक्शा जिसने बदला,गरीबों का सरदार कहाई,</strong>
<strong>दुश्मन के लिए लोहा,अपनों के लिए मोम थे वल्लभ भाई</strong>
<strong>आँधी से बढ़ते गए,ज्वालामुखी से फटते गए,</strong>
<strong>अहिंसा का शस्त्र जैसे ब्रह्मास्त्र,कोई न ऐसा विश्व में कहाईll</strong>
<blockquote><span style="color: #ff0000;"><span style="color: #0000ff;"><strong>परिचय-</strong></span>गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम
गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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