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मंडपोत्सव

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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अखंड मंत्रोच्चारण में,
मंडप सुशोभित हो।
खिले पुष्पमाला में…

दो अनमोल तनय-तन,
आपस का गठबंधन
रक्तिम संवेदना,
से संचित हो
जीवन के सफ़र की,
ओर अग्रसर हो
आलिंगन पवित्रता के,
निर्मल आनन्द सजे गले।
खिले पुष्पमाला में…

यौवन ने ली अंगड़ाई,
विवाह की उठने लगी
मात-पिता के जहन में,
जन्म कुंडली नक्षत्र दोष
देख-रेख से शुभ मुहूर्त,
तैयारी में जुट गए
सारे हित-नाते दिल खोलकर,
दहेज की दूर‌ नीतियों से परहेज।
खिले पुष्पमाला में…

पान-सुपारी नेवेद्य,
अक्षत रोली चंदन सिन्दूर
नए वस्त्रों से सुसज्जित,
कलश पर आम्र पल्लवी
जगमग घी बाती-दीप जले,
पुरोहित के अखंड मंत्रोच्चारण
अगरबत्ती की सुसुगंधित गंध,
धुए संग फैल रही वातावरण।
खिले पुष्पमाला में…

आधुनिकता से सज्जित,
कृत्रिम झिल‌मिलाती जूगनू की
लड़ियों संग चकाचौंध करती,
शहर की अंधियारी गलियाँ
आतिशबाजी की ऊँची-ऊँची,
गगनचुंबी उड़ान ‌में अठलेलियाँ
खेलती फुलझड़ी लाॅकी के ढेर,
कान को फाड़ती दिल धड़कन में।
खिले पुष्पमाला में…

ढ़ोल-ढाल बाजे शहनाई बाजे,
नाचे-गाए डीजे के तक
धिना‌-धिन‌ की ताल,
हाथी घोड़े चढ़े दूल्हे राजा
मोर शीश चढ़ाए मन,
मुग्ध हो मन ही मन
मुस्काए, झुमके झूमे लाल,
पगड़ी शीश चढ़ाए समधी मिले।
खिले पुष्पमाला में…

अग्नि के समक्ष,
सात फेरे लिए
अवनी ‌अम्बर की,
बहती शीतल मधुरम
प्रीत हवाओं संग,
जीवन तरंग लहराते
लहरियों की सुगंधित,
अलौकिक स्वर्गिक के।
खिले पुष्पमाला में…

मंडप सुशोभित हो,
कुम्हारिन से निर्मित
हाथी हथिनी, घट घड़ा,
और अन्य वस्तुएं
बाँस, बांसवाड़ा के ठाट-बाट,
ओखल अठगोनवां की
कुट, लावा फेरन‌ की,
अटूट आस्था की रस्में सब।
खिले पुष्पमाला में…

क्षितिज के अतंत,
ब्रह्मांडीय से प्रेरित हो
शुभ ब्रह्म मुहूर्त बेला के,
सुरमयी संगीत से
गुंजन होता,
असीम आनन्द में लोकगीत
झूमर मधुरम प्रीत से,
लाली-सिंदूर से सुहागनें मांग भरें।
खिले पुष्पमाला में…

युग-युगांतर की,
परिधि से जिंदगी की शुरूआत हो
प्रेम लताओं की,
संजीवनी बन अपनी
हर अंदाज अदाओं संग,
ये आशीष मिले
प्रभु की प्रभुता में,
इष्ट देव-देवियों के पूजन।
खिले पुष्प मालों में…

आरती के गायन पर,
सुमन अर्पित करे गूँजे
स्वरित घंटों के टनटना,
मन चित प्रफुल्लित हो
गाएं गुणगान प्रभु के,
चरणों में नतमस्तक हो
बरस‌ बरसेगा अमर अमृत।
खिले पुष्पमाला में…

सजी डोली दूल्हा-दुल्हन,
कि ले चली खेली-कूदी‌
आँगन-गलियन,
खेत-खलिहान बीच
वात्सल्य को शीश‌ चढ़ाए,
शोर मचाती सखियन
संग धूम मचाती,
मायके छोड़ छुड़ाए।
खिले पुष्प मालों में…

नैनन से बहती,
असाध्य अश्रु-सी
मोतियन‌ की बूंदें,
मात-पिता के रोदन से
रूघ्न‌ हो जा,
रही अंग-अंग जार-बेजार
कोटर विहंग विह्वल,
हो चहक-चहक उठी।
खिले पुष्पमाला में…

एक जन्माकुल से बंधे,
दूजे घर-आँगन गृहस्थनी
बन लक्ष्मी रूप में,
सौंप ली परम कर्तव्य निष्ठावान हो
जीवन की चलती,
रथडोर लगाम अपने हाथों में
सार्थक प्रयास पर,
अटल विश्वास और आस्था में।
खिले पुष्प मालों में…

सक्रिय भावना से,
सुखनंदन पुष्कर बनी
भाव-विभोर हो आनंदमग्न,
सार्थक विचारधारा को
हृदय में प्रभावित होकर ज्योतिर्मय,
दिव्यता का दीप प्रज्वलित हो
जगमग दीप जले,
तो जलता ही रहे सुपथ‌ में।
खिले पुष्पमाला में…

मांग भरी सुहागन,
लाल चमचमाती सिंदूर की
कसम में मंगलसूत्र के,
असीम शुभकामनाएं दी
जाए घर के सम्मानित,
वयोवृद्ध के आशीष वचनों की
युग-युग जियो आशीर्वाद से
सौभाग्यवती बनने को।
खिले पुष्पमाला में…

जन्मभूमि से प्रेरित होकर,
कर्मभूमि की ओर अग्रसर
होकर अपने जीवनसाथी से,
सीधा संबंध, बन्धन मुक्त
एक परिपक्व जीवन-शैली,
प्रारंभ हो, नियमित
निःसंदेह निश्चल सेवा ‌से,
जीवनता में गहराई हो तो।
खिले पुष्पमाला में…

गृहलक्ष्मी में संस्कृति, सभ्यता,
संस्कार में एक नई चेतना का
हो कुल खानदान का,
अनूठे अनुभव से सतर्कता की
एक आनंदमय,
जिंदगी में सपरिवार का
कल्याण अखंड सौभाग्यवती बन,
कष्टों का हो हॅंसी-ख़ुशियों में।
खिले पुष्प मालों में…

जिंदगी की‌ हर बात,
आपकी ही मान्य
और सराहनीय हो,
ऐसा होता ‌ही नहीं
बातें सुमधुर ‌धीमी हो तो,
क्रोधित मन भी शांति से
सहमत हो शीश झुकने को,
आतुर हो जाता है।
खिले पुष्पमाला में…

कारी कजकरैली,
सुनहरे बाल गोर बदन
गोरे गाल ‌लाल-लाल,
मृगनयनी तिरझे नजराने
सभी ‌के सभी ‌अच्छे के अच्छे,
पर आचरण‌ ही काला हो
तो ‌सब कुछ बेकार ही,
नई नवौड़ी बहुएं चारदिवारी में।
खिले पुष्पमाला में…
खिले पुष्पमाला में…॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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