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महकाओ रिश्तों की खुशबू

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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जिस रिश्ते में पूर्ण एकता होती है,
सही मायने में वही सही रिश्ता है
रिश्तों की खुशबू, जब मिलती है,
सन्त जान जाते हैं, सही रिश्ता है।

रिश्ते में एकता की खुशबू है जहाँ,
श्रीराम का आशीष, रहता है वहाँ
सरस्वती जी का ज्ञान है एकता में,
ज्ञान का भंडार है शब्द मधुरता में।

हरेक घरों में, एकता का दीप जले,
देवी लक्ष्मी बसती हैं, प्रेम दीप तले
रिश्तों में खुशबू की आहट मिलेगी,
जिसस घर में नारी सदा खुश रहेगी।

जो जन पिएं मदिरा, बैठ मधुशाला,
ओ घर की एकता में, लगेगा ताला
थोड़े शब्दों में कहते हैं दास कबीर,-
प्राण लेके आए, यही तो है जागीर।

प्रातः से शुभ रात्रि तक हॅंसते रहो,
रिश्ता नाजुक होता है, पकड़े रहो।
सदा शक्ति प्रदान करेगी, ये खुशबू,
धरा में महकाओ रिश्तों की खुशबू॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है

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