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माँ तुम बहुत याद आती हो

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


देखता हूँ जब भोली,गैया-मैया,
भरी ममता से,बछड़े को पुचकारती
माँ तुम बहुत याद आती हो,
अपनी बाँहों में,मुझको दुलारती।

एक नन्हीं चिड़िया,हौंसलों से भरी,
चोंच से,चूजों को दाना डालती
माँ तुम बहुत याद आती हो,
तकलीफें सहती,मुझको पालती।

वह शेरनी,रानी के गर्व से भरी,
अपने शावकों को जब है निहारती
माँ तुम बहुत याद आती हो,
गोदी में लोरी सुनाती,मुझे हिलारती।
जंगल गजिनी,अथाह शक्ति से भरी
सूंड में पानी भर,शिशु गज पर फेंकती,
माँ तुम बहुत याद आती होl

प्रथम गुरु मेरी,जिंदगी को सिखलाती,
दुर्गा,काली,सरस्वती मैया की
भक्ति से उतारूं ,मैं जब-जब आरती,
माँ तुम बहुत याद आती होl

सिखाती,बताती,पर नजर भी उतारती,
आसमां से बरसती,अमृत बूंदें
इस प्यासी धरती को है,जब भी तारती,
ये दुनिया हारी है,पर ममता नहीं हारती
माँ तुम बहुत याद आती होll

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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