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‘माटी’ बने अखिल भारतीय काव्य संसद के संरक्षक

पंडरिया(छत्तीसगढ़)। 

साहित्य सृजन को ध्येय मानकर एवं इसे जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों के कवियों द्वारा मिलकर एक राष्ट्रीय संस्था के गठन विषय पर बैठक की गई। सुदूर निवासित कवियों से आनलाईन विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राष्ट्रीय बैठक आहूत हुई, जिसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड,राजस्थान,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल,उत्तरप्रदेश,गुजरात और बिहार के साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। बैठक में साहित्य सृजन एवं एक नव संस्था के सृजन के संबंध में विचार के बाद साहित्यकारों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने के प्रयास से नव साहित्यिक संस्था ‘अखिल भारतीय काव्य संसद’ का निर्माण किया गया। इसका संरक्षक महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ (पंडरिया) एवं महेश राजा (महासमुंद) को चुना गया। ‘माटी’ ने बताया कि यह संस्था नवयुवकों को साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का कार्य करती रहेगी, और प्रतिभाओं को आगे लाने का प्रयास किया जाएगा।

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