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मासूमों की दर्द भरी चीत्कार

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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आत्मा से आत्मा की आवाज सुनाना चाहती हूँ,
गुजरते हुए वक्त की दस्तक सुनाना चाहती हूँ।

जो नन्हीं मासूमों की चीखों को सुन सहमे नहीं,
उन मासूमों की दर्द भरी चीत्कार,सुनाना चाहती हूँ।

मर गयी है उनकी आत्मा जो रिश्तों का खून कर,
वहशी दरिन्दे हैं
उनकी हैवानियत का हाहाकार सुनाना चाहती हूँ।

बेटी पढ़े बेटी बढ़े,ये कैसे संभव हो,
माता-पिता की इस पीड़ा का दर्द सुनाना चाहती हूँ।

गर्भ से बेटी को जैसे-तैसे बचा लिया,
अब कैसे बेटी हो सुरक्षित ?
माता-पिता की बेचैनी को आज सुनाना चाहती हूँ।

जब तक हर घर-घर में नैतिक मूल्यों का आगाज न हो,
तब ही है हर बेटी-बेटा की सुरक्षा,यह बात सुनाना चाहती हूँll

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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