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मुझे समझौता ही रहने दो…

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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जिंदगी में,
बहुत बड़े-बड़े खवाब तो नही देखे
मेरी आँखों में,
छोटे-छोटे गूंगे,सपने तो रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो…

जिंदगी से,
मैंने सौदे तो नहीं किए
सच का सामना करने के लिए,
मुखौटे भी नही लिए
मेरा सच,
मेरे साथ रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो…

जिंदगी से,प्यार किया,
छल तो नहीं किया
शब्दों की सलाखों को,
मेरे दिल के आर-पार ही रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो…

शिकवे और शिकायतों पर,
अब न वक्त जाया कर
शिकायतें सब मेरी,
मेरे साथ रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो…

मैं किसी का,
अपना कहाँ हो पाया
पराया था,
पराया ही रह गया।
मुझे अपना तो…रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो…

देख लिया चेहरा दुनिया का,
मकसदों और सियासतों का है
मेरा चेहरा,
बस मेरा ही रहने दो।
मुझे समझौता ही रहने दो,
मुझे समझौता ही रहने दो…॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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