सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
***************************************************
हिंदी में ही मन बसे,और बसे संसार।
सरिता हिंदी भाव की, जीवन का आधार॥
सहज सरल भाषा यही,जिसकी नहीं मिसाल।
जो इसका आदर करे,करती उसे निहाल॥
अनुजा संस्कृत की यही,सुंदर भाषा ज्ञान।
शब्द शब्द परखा हुआ,साँचा यह विज्ञान॥
हिंदी महिमा मैं करूँ,शब्द नहीं है पास।
हिंदी भाषा विश्व हो, यह है मन की आस॥
विश्व पटल पर ये सजे,और बनें सरताज।
परचम फहरे हिन्द का,करें कामना आज॥