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मुट्ठी को रहना होगा साथ-साथ…

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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क्या अनूप मंडल को इल्जाम दें,
हम आपस में ही अनेक हैं…
‘जैन हूँ’ कहते ही पूछते हैं कौन से ?
बताओ कहाँ से हम एक हैं।
मुट्ठीभर हैं हम पर इस,
मुट्ठी को रहना होगा साथ-साथ…
तब रोक पाएंगे हम पर,
उठती उँगली और हाथ।
अहिंसक होना हमारी,
कमजोरी नहीं ताकत है…
अहिंसा की शक्ति महावीर और,
गांधी के रूप में आज भी शाश्वत है।
‘कोरोना’ की वृद्धि में नहीं,
अंत के लिए उठे जैनों के कदम…
इंसान की बात दूर हम तो एक,
चींटी के लिए भी रखते हैं रहम।
याद रखना शेरों को संख्या,
होती है हमेशा कम…
पर जंगल जीतने का सदा,
शेर ही रखता है दम।
जैन धर्म नाम मात्र,
कोई उच्चारण नहीं है…
जैन धर्म साक्षात एक,
सच्चा आचरण है।
देश की अर्थव्यवस्था में,
बहुत बड़ा है हमारा हिस्सा…
फिर क्यूँ अनूप मंडल,
जैन की गद्दारी का सुना रहा किस्सा।
मेरे हमेशा से एक ही रहे,
हैं पाक रहीम और पवित्र राम…
फिर क्यूँ बदनाम करते हैं,
मेरे महावीर का नाम।
अस्तित्व बचाना है तो जैन,
तुम्हें अब एक होना होगा।
एकता रूपी प्रेम का,
बीज तुम्हें फिर से बोना होगा॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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