आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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स्वर्ग-सा सुंदर सबसे प्यारा,न्यारा है मेरा हिंदुस्तान,
गंगा यमुना कृष्णा कावेरी,नित करती है जय गान।
नित करती है जय गान,सदा-ही ये खेतों को सींचे,
रत्न और खनिज भरे हैं,इस अनुपम धरा के नीचे।
मुकुट हिमाला-से शोभित सिर,सागर धोए नित पांँव,
हरियाली है लहंगा इसका,हृदय है इसका का गाँव।
हर बाला में राधिका,बालक छेड़े मुरली की तान,
प्रेम की धुन बस गूंजती,सबका करते हैं सम्मान।
सबका करते हैं सम्मान,सभी जन लगते हैं प्यारे,
आजाद अकेला है यह जग में,लोग हैं जिसके न्यारे।
‘आजाद’ कहे करजोरि,प्रीत तुम सदा सबसे साधो,
ज्ञान-दीप जलाओ जग में,अपने सिर पे साफा बांधो॥