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मेला

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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मेला यह संसार है,आते-जाते लोग।
चार दिनों की जिंदगी,सहते सभी वियोग॥
सहते सभी वियोग,एक दिन सबको जाना।
कर ले नेकी काज,यहाँ कुछ नाम कमाना॥
कहे ‘विनायक राज’,लगे है रेलम-पेला।
कठपुतली-सी चाल,जमाना देखे मेला॥

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