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मैं बिटिया

दीपा पन्त शीतल
बीकानेर(राजस्थान)

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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


मैं बाबा की प्यारी,माँ की दुलारी,
छोटी-सी अंगना में खेलूं।
कलाई में भइया की राखी बनूँ,
देहरी में दिए की बाती बनूँ॥
मैं बाबा की प्यारी…

कदमों से नन्हें घर भर में खेलूं,
तुतलाती बोली में माँ-बाबा बोलूं।
ढक लूं हथेली से माँ तेरी पलकें,
सुनकर मैं लोरी जी भर के सो लूं
महका दूँ फूलों से तेरी ये बगिया॥
मैं बाबा की प्यारी…

मैं मेहंदी मैं गुड़िया,
मैं खुशियों की पुड़िया।
छोड़ के एक दिन ये डाली,
चिड़िया-सा उड़ जाना है
घर दूजा अपनाना है॥
मैं बाबा की प्यारी…

तुम्हारा ही हिस्सा हूँ,मारो न मुझको,
देखूंगी कैसे सुंदर से जग को।
भैया की शादी रचाओगी जब तुम,
बिटिया किसी की ही,लाओगी तब तुम
बहू ना मिलेगी,ना होगी जो बिटिया॥
मैं बाबा की प्यारी…

परिचय-दीपा पन्त का साहित्यिक उपनाम `शीतल` हैl इनकी जन्म तिथि ३१ जनवरी १९७९तथा जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान)हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.और बी.एड. होकर कार्यक्षेत्र-अध्यापन हैl दीपा पन्त सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत स्वयंसेवक के रूप में पशु चिकित्सा कार्य व उनके लिए सेवा कार्य यथा भोजन,देखभाल करती हैं। विशेष आवश्यकता वाले और निम्न सामाजिक स्तर वाले बच्चों की सहायता में भी आप सक्रिय हैं तो विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन भी करती हैंl ब्लॉग और सामजिक माध्यमों पर भी लेखन में कार्यरत शीतल की लेखन विधा-कविता और लघु कथा हैl आपकी रचनाओं का प्रकाशन इंदौर सहित उदयपुर और ब्यावर के पत्र-पत्रिकाओं में भी हुआ है। इनकी लेखनी का उद्धेश्य-साहित्यिक व सामाजिक सेवा है। विशेष उपलब्धि-उत्तराखंड के एक समाचार-पत्र में इनके सामाजिक कार्यों पर खबर प्रकाशित होना हैl

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