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‘युवा’ उम्र नहीं-अवस्था

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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युवा उम्र नहीं अवस्था है
युवा दो धुरी की व्यवस्था है,
भविष्य और अतीत के मध्य-
वर्तमान-सी एक मध्यस्था है।

शोभित,शोषित मध्य है
वृद्ध,बाल पोषित सानिध्य है,
है गर्भ युवा गृहस्थी का-
युवा उम्र नहीं अवस्था है।

स्तम्भ,स्तब्ध-सा बिंदु है
बहता अविरल-सा सिंधु है,
किनारों पर बैठे प्यासों की-
ठहरे पोखर-सी अभ्यस्ता है।

युवा ताना-बाना दो धुरी का
हाट बिके,कभी घाट बिके,
करे जो अपने ठाठ,बिके
है मूल वृक्ष-सा
चाह हरियाली को टहनी पर
गीली मिट्टी में आप टिके।

युवा उम्र नहीं अवस्था है
दो पीढ़ी की मध्यस्था है।
सांझ-सवेरे के मध्य में,
युवा सूरज-सी व्यवस्था है।

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