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रचनात्मक गतिविधियों में वृद्धि की ‘सुनें सुनाएं’ ने

रतलाम (मप्र)।

‘सुनें सुनाएं’ आयोजन ने शहर की रचनात्मक गतिविधियों में वृद्धि की है। ऐसे लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है, जो सृजन के प्रति रुझान रखते हैं, लेकिन किसी मंच पर उपस्थित नहीं हो सके थे।

यह विचार ‘सुनें, सुनाएं’ के बारहवें सोपान में उभर कर सामने आए। जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित कार्यक्रम में १२ सुधिजनों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं को प्रस्तुत कर इस अवसर को यादगार बनाया। इन साथियों ने अपनी प्रस्तुति से सबको प्रभावित किया। आयोजन को रचनात्मक उपस्थिति से डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, कैलाश व्यास, अशोक तांतेड़, डॉ. दीप व्यास, सांत्वना शुक्ला, नीता गुप्ता, सरिता दशोत्तर, दुष्यंत कुमार व्यास, आशीष दशोत्तर व सुधिजनों ने सार्थक बनाया। आयोजन में हरिशंकर भटनागर ने डॉ. कुंवर बैचेन की रचना ‘बदरी बाबुल के अंगना जइयो’, सान्त्वना शुक्ला ने डॉ. हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘जो बीत गई सो बात गई’ का पाठ किया।