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राम राज कब आएगा!

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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राम-राज…

चहुंओर हाहाकार मचा है,
राम राज अब कहाँ बचा है ?
झूठ का पलड़ा हुआ है भारी,
बेकसूर को मिल रही सजा है।

दीपों से जग हुआ है रोशन,
राघव का कहीं पता नहीं है
कैसे कहूं अब राम राज है,
हृदय भीतर संताप मचा है।

विकल भया सर्व जगत में,
गुण्डों के घर मन रही दिवाली
दीपक रोज बहाएं आँसू,
गली-गली घूम रहे मवाली।

कैसे होगा अमर उजाला,
कब होगी सच्चाई की जीत!
आस लगाएं सिय द्वार खड़ी हैं,
कब आएगा मन का मीत ?

राघव अब तुम आ जाओ,
मन की अँखियाँ तरस गई हैं।
दीपोत्सव का पावन पर्व है,
उम्मीदों की आस जगी है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।