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राम सँवारे काज

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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रामराज…

राम तुम्हारे राज में
जीवन जीते आज में,
कल की चिंता किसको है
राम सँवारे काज हैं।

खग मृग मानव
सब करते निज कर्म,
प्रेम परस्पर प्रीत करे सब
पालन करते निज धर्म
राम सहारे राम ही तारे
राम ही सबकी आवाज़ हैं।
कल की चिंता किसको है,
राम सँवारे काज हैं…

दर्प को रख कर एक किनारे
ओ हृदय अब राम पुकारें,
राम ही अब बिगड़ी सँवारे
राम रसिक रामधुन गा रे
दीप जलाओ आनन्द मनाओ
कट गया राम वनवास है
राम अयोध्या है पधारे
राम ही अब महाराज है।
कल की चिंता किसको है,
राम सँवारे काज हैं…॥