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राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हिन्दी

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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हिन्दी संग हम…

अमरावती में जन्मे गुणाकर मुले ने एक ‘भारतीय लिपियों की कहानी’ लिखी। उन्होंने लिखा कि, जिस लिपि में यह पुस्तक छपी है, उसे ‘नागरी’ या ‘देवनागरी’ लिपि कहते हैं, जो लगभग २५० वर्ष पहले बनी। इसके विकास होने से अक्षरों में स्थिरता आ गई।
देवनागरी लिपि में मुख्यतः गुजराती, नेपाली, मराठी, संस्कृत, प्राकृत और हिन्दी (नागरी) भाषाएँ लिखी जाती हैं अर्थात हिन्दी-नागरी तथा इसकी विविध बोलियाँ, संस्कृत एवं नेपाली आदि इसी लिपि में लिखी जाती हैं। चूंकि, हिन्दी (नागरी) हमारे देश की राष्ट्रभाषा है और सर्वविदित है कि, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दी में वार्तालाप ही नहीं करते, बल्कि सम्बोधन में भी हिन्दी भाषा को प्रमुखता देते हैं। इस कारण आज के समय में राष्ट्रीय एकता में हिन्दी न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि विश्व के अनेक भागों में रहने वालों के बीच भी।

प्रधानमंत्री शुरू से ही आज तक विश्व पटल पर हिन्दी का जिस सशक्त तरीके से प्रयोग कर रहे हैं, उसी फलस्वरूप विदेश में न केवल हिन्दी की पैठ बढ़ रही है, बल्कि आजकल विदेशी शासनाध्यक्ष हो या अन्य उच्च पदाधिकारी भारतीयों के बीच ‘नमस्कार’ से सम्बोधन शुरू करते हैंं और उन सभी की कुछ हिन्दी वाक्यों के माध्यम से सन्देश देने की चेष्टा रहती है। इस तरह यह मानना गलत नहीं होगा कि, इसके चलते ही आजकल देश में भी हिन्दी के प्रति लोगों के रुझान में जिस तरह से परिवर्तन देखने में आ रहा है, वह निश्चित रूप से स्वागत योग्य है, साथ ही यह स्थिति हम हिन्दी प्रेमी लोगों को निश्चित रूप से संतोष प्रदान करती है।