ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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लोग,
अक्सर रिश्तों की
दुहाई देते हैं,
और खुद ही
रिश्तों की अहमियत,
भूल जाते हैं
बड़ी विडम्बना है,
गैरों के सामने
अपनों को भूल जाते हैं,
और खुश रहने का
ख्वाब सजाते हैं,
पर शायद…
वो ये नहीं जानते,
कि अपने हैं
तो सुनहरे सपने हैं,
वरना जीवन में
ख़तरे ही ख़तरे हैं।
खून के रिश्तों में,
और दिल के रिश्तों में
थोड़ा फर्क होता है,
खून का रिश्ता
दिल के रिश्तों से,
थोड़ा बड़ा होता है
इसलिए अपने तो,
अपने ही होते हैं॥
बाकी तो सब जीवन में,
सपने ही होते हैं॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।